चलो कुछ यादें ताज़ा करते है...

चलो कुछ यादें ताज़ा करते है...

वो पहली चिट्ठी
वो गीली मिट्टी.
वो सूखा गुलाब
वो टूटा सा जवाब
चलो कुछ यादें ताज़ा करते है..

वो बचपन का प्यार
वो मीठा करार
वो हल्की खुमारी
वो लास्ट बेंच
और नज़रें तुम्हारी..
वो छुपके मिलना और मिलके छुपना.
चलो कुछ यादें ताज़ा करते है..

वो हँसी तुम्हारी
वो बात पुरानी..
वो बारिश मे चलना
वो ice cream पिघलना,
वो लंबी रातें
वो नटखट बातें,
चलो.. कुछ यादें ताज़ा करते है..

वो बुक पर लिखना नाम तुम्हारा,
वो पर्चे, वो चर्चे, और पॉकेट से मारा,
ना five star  की कॉफी, ना clubs के हाइ rates,
बस 2 ग्लास ज्यूस और एक सैंडविच वाली dates,
नोट्स के बहाने वो घर आना जाना,
और नोट्स में छुपा कर तोहफे ले आना,
चलो कुछ यादें ताज़ा करते है...

अब ना है वो मासूमियत, ना शराफ़त है वैसी,
अब बस मिलावट वाली ज़िंदगी है ऐसी,
ना बारिश की खुश्बू, ना मीठा खुमार,
ना होगा फिर से वो पहला प्यार.. इसलिए,
चलो कुछ यादें ही ताज़ा करते है..

(Image courtesy - chetankejriwal.wordpress.com)