Pages

Pages

Tuesday 11 February 2014

कुछ दर्द अभी भी बाकी है

एक हवा का झोंका आया
और मैं तुझसे कुछ कह ना पाया
रास्ते अपने यू जुदा हो गये पर
कुछ दर्द अभी भी बाकी है...

बातें थी ज़ो कहनी थी
अब दूरी और ना सहनी थी
आगे चाहे जितना बढ़ गया हू मैं
कुछ दर्द अभी भी बाकी है

बारिश की गुम्सुम बूँदों मे
मेय है, नशा है, साकी है,
कुछ कहने को ना आज मगर
कुछ दर्द अभी भी बाकी है

ज़माना वो अब गुज़र गया
जब साथ ज़माना चलता था
अब मिलके भी तुझसे, बेचैनी है, खामोशी है,
कुछ दर्द अभी भी बाकी है..

रात का अकेलापन आज मगर ये
मुझसे धीरे से कहता है
भूल गया सब जो कहा था उसने
बस कुछ दर्द अभी भी बाकी है...


(An evening of Romantic Poetry "Ishq-e-Inayat by Pawas Jain" in Jaipur on 13th February 2013 at Cafe Kalapani - https://www.facebook.com/events/1403169543270697/)



2 comments: